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एक रहस्यमय ड्रामा

यूँ ही जब हाथ में चाय का कप लिए, खिड़की के फलक पर पड़ रही बारिश की बूंदों को देखते-देखते नज़र आँगन में रखे पौधों पर पडी, तब अचानक फ़ोन की घंटी बजी और परेशान आवाज़ में एक दोस्त ने कहा कि, “मैं ही क्यूँ ?, हमेशा मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?, हमेशाContinue reading “एक रहस्यमय ड्रामा”